कहते हैं कि दिल से चाहो तो सब होता है, देखो ज़रा हो भी गया
बड़े दिनों से जिस हिंदी की माला मैं मेरी कापियाँ पहनती थी आज उनकी मुंह दिखाई हो रही.. .
आय हाय ! आज तो जैसे शिवम् शर्मा किसी किताब के पहले पन्ने पर अपना नाम देख मचल रहा हो ,जैसे खुद ही चेतन भगत हो और सड़क , बाजा़र कहीं कोई मिल के बोला हो - " सर सर ! एक सेल्फी सर"
अब ई शिवम् शर्मा कौन है भाई?
और ई का बहकीं बहकीं बातें कर रहा?
शिवम् शर्मा है एक लड़का ,जो बकवासियत के यूनिवर्सिटी से सात बार गोल्ड मेडलिस्ट है , और तीन बार आधी पी.एच.डी. कि डिग्री भी पाया चुका है ।
खैर छोड़िये ! जीवन में स्वयं से संवाद न हो तो बड़ा फीका़ सा लगता है जैसे , दिन पर जिस आइने में टुकुर टुकुर मुंह निहारते हैं
बेचारा वो आइने खुद की सूरत न देख पाया कभी।
तो मैंने ये पूरी बात ये बताने के लिए की आज से अब से अभी से ब्लाग की दुनिया में भी हम आ गये हैं , देखते हैं कब तक टिकते हैं।
चलिए दुआओं की उम्मीद है . ...
- (नहीं भी देंगे तो भी क्या.. )
फिर से मांग लेंगे।
#बड़का_लेखक
_शिवम् शर्मा
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